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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बच्चों को बड़ों की इज्ज़त करना सिखाएं bacchon ko badon ki ijjat karna sikhayein

                                              बच्चों को बड़ों की इज्ज़त करना सिखाएं:   बच्चे पेरेंट्स के सबसे बड़े फॉलोअर्स होते हैं जिन्हें देखकर और उनका अनुसरण कर वे बड़े होते हैं। बच्चा जब बहुत छोटा होता है बोल भी नहीं पाता, मां को देखते ही तेज-तेज हाथ पैर चलाने शुरू कर देता है क्योंकि उसे एहसास हो जाता है कि वह उसे गोद में उठा कर प्यार करेंगी इस का एहसास मां को भी हो जाता है और वह बच्चे की भावना की इज्ज़त करते हुए उसे गोद में उठा कर प्यार करती है। एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने की शुरुआत वास्तव में यहीं से हो जाती है। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, वह सब सीखता है जो उसके आसपास हो रहा होता है। ऐसे में कई बार पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि वह बड़ों की इज्जत नहीं करता। इस लेख में लेखिका ने यह बताने की कोशिश की है कि दुनिया में ऐसी कोई पुस्तक नहीं लिखी गई जिसे पढ़कर बच्चा बड़ों की इज्ज़त करने लगे। इज्ज़त करना एक पारिवारिक माहौल/प्रोसैस है जिसे बच्चा बड़ों के अनुसरण मे...

बढ़ते बच्चों में मोटापा: एक समस्या (Badhte Bacchon Mein Motapa: Ek Samasya)

आज के दौर में बढ़ते बच्चों में मोटापा (obesity) माता-पिता के लिए परेशानी का कारण बन गया है। बच्चों का बचपन इस भयंकर बीमारी की चपेट में लगातार आता जा रहा है। हमारे आस-पास हर रोज़ हम न जाने ऐसे कितने ही बच्चों को देखते हैं जो इस बीमारी से ग्रसित हैं। पैरेंट्स स्कूल यूनिफॉर्म लेते समय प्लस साइज की डिमांड करते हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसे बच्चे धीरे-धीरे हीनभावना के शिकार हो जाते हैं। ये बच्चे खेलों में भी रूचि नहीं ले पाते। इनके सहपाठी इन्हें मोटा कह कर चिढ़ाते हैं। यद्यपि ऐसा करना सरासर ग़लत है लेकिन फिर भी ऐसा होता है क्योंकि बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं। इस आर्टिकल में यह समझाने की कोशिश की गई है कि मोटापा क्या है, इसके कारण क्या हैं, बच्चों में इससे कौन-कौन सी समस्याएं एवं बीमारियां हो सकती हैं, ऐसे में पैरंट्स की क्या जिम्मेदारी है और उन्हें इस भयानक समस्या को रोकने के लिए क्या करना चाहिए? मोटापा क्या है: बढ़ते बच्चों में मोटापा अत्यधिक वसा/चर्बी (fats) की वजह से शरीर में आने वाला वह बदलाव है जिससे शरीर का वजन अत्यधिक बढ़ जाता है। साधारण शब्दों में शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ ज...

बच्चों को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर कैसे बनाएं

जैसा कि हम सब जानते हैं एक छोटा सा बीज अंकुरित होकर विशाल पेड़ का रूप धारण कर लेता है। यह तभी संभव होता है जब बीज को मिट्टी (ज़मीन) में गाड़ा जाए। बीज में धीरे-धीरे अंकुर फूटता है फिर वह अपनी जड़ें ज़मीन में फैलाना शुरू करता है, माली उसे सींचता है, उसकी देखभाल करता है और देखते ही देखते एक नन्हा सा बीज विशाल पेड़ की जगह ले लेता है। हमारे बच्चे भी ठीक उसी अंकुर की तरह होते हैं जिन्हें बड़ा होकर एक जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक बनकर समाज को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाना है।  इस लेख में लेखिका ने यह बताने की भरपूर कोशिश की है कि पैरंटस अपने बच्चों को एक जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक कैसे बनाएं जिससे वे बड़े हो कर खुशहाल जीवन व विकसित समाज का निर्माण कर सकें। आत्मनिर्भरता क्या है?  आत्मनिर्भरता विकास की राह में बढ़ाया गया वह कदम है जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है। ऐसे में एक जिम्मेदार आत्मनिर्भर नागरिक जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना बड़ी ही बहादुरी और समझदारी से करने में सफल हो जाता है।  एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने परिश्रम द्वारा कोई भी कार्य करने में विश्वास रखता ...

उज्जवल भविष्य की नींव - शिक्षा, ज्ञान, सच्चाई एवं आत्मनिर्भरता

प्रस्तुत लेख में समाज में रहते हुए जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को कोट्स (Quotes) की सहायता से अपनी जीवनशैली व उज्जवल भविष्य में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु कुछ मूलभूत सुझाव व्यक्त करने की कोशिश की गई है। आधुनिक समाज में बच्चों एवं संपूर्ण मानवजाति का भविष्य सही दिशा में दी जाने वाली शिक्षा पर निर्भर करता है( कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार, कैसे करें सही परवरिश? )। बच्चों के प्राथमिक शिक्षक व मार्गदर्शक उनके माता-पिता होते हैं। बचपन में ली गई शिक्षा का प्रभाव पूरी उम्र रहता है। कौन सी बात पर हम कैसे प्रतिक्रिया करते हैं, अपनी बोल-चाल में संयम और सभ्यता का इस्तेमाल किस तरह करते हैं यह सब हमारी शिक्षा एवं ज्ञान पर निर्भर करता है। बच्चों को कोई भी कार्य सिर्फ यह सोच कर नहीं छोड़ देना चाहिए कि उनसे नहीं होगा बल्कि तब तक कोशिश करते रहना चाहिए जब तक कि उसे पूरा न कर लें। सभी पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे झूठ न  बोलें , सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलकर आत्मनिर्भर बनें लेकिन सिर्फ माता-पिता के सोच लेने मात्र से ही बच्चों में यह सब बदलाव नहीं आएगा इस के लिए उन्हें भी अपने अंदर ...

कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार, कैसे करें सही परवरिश ?

बच्चे पैरेंट्स की आन - बान और शान होते हैं। ये उस कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है। हर माता-पिता चाहते हैं कि वे अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दें जिससे उनका बच्चा आधुनिक समाज में अनुशासित, संस्कारी, मृदुभाषि एवं प्रतिष्ठित व्यक्तितव का मालिक बने। इस के लिए वे भरपूर कोशिश भी करते हैं लेकिन अक्सर उनकी कंप्लेंट रहती है कि उनके बच्चे का बिहेवियर ठीक नहीं है दूसरे बच्चों के साथ आए दिन लड़ाई - झगड़ा करने लगा है, पढ़ाई-लिखाई में भी उसका मन नहीं लग रहा .... आदि। इन सब बातों के लिए काफी हद तक अगर कोई ज़िम्मेदार है तो वो हैं खुद पैरेंट्स क्यूंकि सब कुछ उनके सामने हो रहा होता है, किस परिस्थिति में क्या निर्णय लेना है वे समझ नहींं पाते और हालात बद से बद्तर होते चले जाते हैं।   कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार कैसे करें सही परवरिश अगर:  1) बच्चा सुबह उठने में आनाकानी करे/स्कूल जाने से इंकार करे : 2) बच्चा पढ़ाई से कतराने लगे/चिड़चिड़ा हो जाए 3) बच्चा खाना ठीक से नहीं खाता/दूसरे बच्चों के साथ मारपीट करता है : 4) बच्चा पलट कर जवाब दे/गाली गलौच करें : 5) बच्चा ...