बच्चे माता-पिता की सबसे बड़ी धरोहर होते हैं। अतः उनका कर्त्तव्य है कि बचपन से ही उनकी ऐसी परवरिश करें और लोक व्यवहार की शिक्षा दें ताकि बड़े होकर वे मजबूत, आत्मविश्वासी, साहसी एवं संपूर्ण प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक बनकर समाज को ग्रेट ऊंचाइयों की ओर ले जाने में सक्षम हों। यह तभी संभव होगा जब पेरेंट्स अपने बच्चों रुपि पूंजी का निवेश सकारात्मक तरीके से सही जगह करेंगे। हमारे बच्चे भी हमारी बैंक में जमा धनराशि की तरह ही होते हैं यदि उचित जगह इन्वेस्ट (investment) नहीं किया तो बढ़ने की बजाय कम होना शुरू हो जाती है। 'मन की बात बच्चों के साथ' (mann ki baat bachhon ke saath) नामक प्रस्तुत लेख में लेखिका ने यह बताने की भरपूर कोशिश की है कि पेरेंट्स अपने बच्चों को लोक व्यवहार एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व का मालिक कैसे बनाएं ताकि वे बड़े होकर समाज को ग्रेट हाईट्स की ओर ले जाने में अपना भरपूर योगदान देने में सक्षम हों। घर के बड़े-बुजुर्गों और पेरेंट्स का मकसद होना चाहिए कि बच्चों को परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढ़ालना सिखाएं। सच्ची शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य होता है धैर्...