इस लेख में लेखिका ने यह बताने की भरपूर कोशिश की है कि पैरंटस अपने बच्चों को एक जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक कैसे बनाएं जिससे वे बड़े हो कर खुशहाल जीवन व विकसित समाज का निर्माण कर सकें।
आत्मनिर्भरता क्या है?
आत्मनिर्भरता विकास की राह में बढ़ाया गया वह कदम है जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है। ऐसे में एक जिम्मेदार आत्मनिर्भर नागरिक जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना बड़ी ही बहादुरी और समझदारी से करने में सफल हो जाता है।
एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने परिश्रम द्वारा कोई भी कार्य करने में विश्वास रखता है। वह कदापि अपने कार्य को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहता। बड़ी ही निर्भीकता से अपने फैसले स्वयं लेता है। अपने विचारों को पूरी हिम्मत और विश्वास (confidence) के साथ सबके सामने व्यक्त करता है। जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता ही व्यक्ति को जीवन की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मददगार साबित होती है।
बच्चों को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर क्यों बनना चाहिए:(उज्जवल भविष्य की नींव - शिक्षा, ज्ञान, सच्चाई एवं आत्मनिर्भरता)
आजकल के डिजिटल वर्ल्ड में प्रत्येक कार्य बड़ी ही परफैक्शन एवं तेजी से किए जा रहे हैं। अतः समय को देखते हुए bright future (उज्जवल भविष्य) के लिए बच्चों को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनना अत्यंत आवश्यक है। इससे उन्हें अपने किसी भी कार्य को करवाने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। जिम्मेदारी व आत्मनिर्भरता बच्चों में अपने फैसले स्वयं लेने के गुण को विकसित करती है।
बच्चों को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनाने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:
1) बच्चों को सोचना सिखाएं:
अक्सर बच्चे बिना सोचे समझे किसी ऐसी चीज की डिमांड (demand) कर देते हैं जो उनकी पसंद है जरूरत नहीं ऐसे में पैरंट्स उन्हें पसंद और जरूरत के बीच का फर्क समझाएं। बच्चों को स्वयं सोचने पर मजबूर कर दें कि पहले उनकी जरूरत जरूरी है या पसंद। ज्यादातर मां बच्चों को कहती रहती है कि अभी ये होमवर्क करो, अभी ये याद (learn) करो, खेलने जाओ, स्कूल बैग पैक करो, सोएंडसो। पैरंट्स बच्चों को स्वयं सोचना सिखाएं कि कब क्या करना है। हां टाइम टेबल बनाने में मदद जरूर कर सकते हैं। इससे बच्चा हर समय माता-पिता पर निर्भर नहीं रहेगा। जब वह अपना काम स्वयं सोचकर करने की कोशिश करेगा तो उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा, जिम्मेदारी के साथ हर काम करने की कोशिश करेगा और धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनता चला जाएगा।
2) बच्चों को अपनी सफ़ाई की जिम्मेदारी दें:
बच्चों को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वयं की चीजों को साफ़ रखने की जिम्मेदारी दें जैसे स्टडी टेबल (study table) को क्लीन (clean) करना, उसके ऊपर पड़ी बुक्स को अच्छे से अरेंज कर के रखना, किसी भी चीज को घर में इधर उधर नहीं फेंकना इत्यादि।
पैरंट्स बच्चों को हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी का उदाहरण ज़रूर दें कि किस तरह उन्होंने देश में सफाई अभियान चलाया और तमिलनाडु (Tamilnadu) में ममलापुरम बीच (Mamallapuram beach) पर अपने हाथों से कचरा उठाया। जब मोदी जी अपने हाथों से बीच पर जाकर सफ़ाई कर सकते हैं तो हम अपनी चीजों और घर को साफ़ क्यों नहीं रख सकते।
3) बच्चों को स्वयं सुबह उठने के लिए प्रेरित करें:
अक्सर मां सुबह-सुबह आवाज़ लगाना शुरू कर देती है कि जल्दी उठो स्कूल के लिए देर हो रही है, अभी फ्रैश भी होना है, नहाना भी है आदि। पैरंट्स कोशिश करें बच्चों को रात में जल्दी सुला दें। उनके पास अलार्म क्लॉक रख दें और बच्चे को सुबह स्वयं उठने के लिए प्रेरित करें हो सकता है शुरू में बच्चे उठने में थोड़ी आनाकानी करें जो स्वाभाविक भी है लेकिन बाद में जब उन्हें आदत पड़ जाएगी तो स्वत: ही उनमें रिसपौंसिबिलिटी /जिम्मेदारी का अहसास जागृत होगा।
4) बच्चों को अपना काम स्वयं करना सिखाएं:
बच्चों को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत जरूरी है कि उन्हें उनके छोटे-छोटे काम जैसे स्कूल से आकर अपना लंचबॉक्स, वाटर बाॉटल स्वयं सिंक में रख कर आएं, अपनी यूनिफॉर्म स्वयं चेंज करें, अपना होमवर्क स्वयं कंप्लीट करें हां माता-पिता अपनी देखरेख में और जरूरत पड़ने पर पढ़ाई में बच्चों की सहायता/help कर सकते हैं और यह जरूरी भी है। अगर बच्चे में अपने काम स्वयं करने की आदत नहीं होगी तो वह ज्यादातर दूसरों पर आश्रित रहेगा, आलस्य से हमेशा घिरा रहेगा,अपना काम समय पर नहीं कर पाएगा नतीजा धीरे-धीरे दूसरों से पीछे रहता जाएगा। ऐसे बच्चे बहुत बार हीन भावना का शिकार होते हुए देखे गए हैं। अतः इस बात की ओर पेरेंट्स ज़रूर ध्यान दें। हर छोटी-छोटी बात के लिए दूसरों पर डिपेंडेंट/निर्भर बच्चे समाज में अपनी पहचान आसानी से नहीं बना पाते। जब भी बच्चा अपना काम स्वयं करे चाहे छोटा ही क्यों न हो माता-पिता उसे एप्रिशिएट (Appreciate) करना न भूलें और हर अच्छी चीज़ के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते रहें।
5) बच्चों को कड़ी मेहनत करना सिखाएं:
Hard work is the key to success. बच्चों को समझाएं कि बिना कठोर परिश्रम/कड़ी मेहनत के कभी सफलता हासिल नहीं होती और एक असफल व्यक्ति की समाज में कोई पहचान नहीं होती। पेरेंट्स बच्चों को समझाएं कि जब भी कोई कार्य करना शुरू करें तो कभी भी उसे बीच में अधूरा न छोड़ें तब तक मेहनत करते जाएं जब तक कि सफलता हासिल न कर लें।
6) बच्चों को अपना निर्णय स्वयं लेना सिखाएं:
पैरंट्स बच्चों में बचपन से ही अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत डालें जैसे कौन सा कार्य उन्हें पहले करना है और कौन सा बाद में। यदि कहीं बाहर घूमने जा रहे हैं तो उन्हें कौन से कपड़े लेकर जाने हैं, कौन से जूते लेकर जाने हैं स्वयं डिसाइड करने दें और इस बात के लिए बच्चों को प्रोत्साहित ज़रूर करें इससे बड़े होकर वे किसी भी तरह का निर्णय लेने में संकोच नहीं करेंगे।
7) बे बजह बच्चे की हर बात पर हस्तक्षेप न करें:
पैरंट्स कई बार बच्चों को हर छोटी बात पर रोकना-टोकना शुरू कर देते हैं जैसे तुम ऐसे क्यों कर रहे हो, ऐसे क्यों बोल रहे हो, बाल ऐसे क्यों बना रखे हैं, तुम्हें ये खाना चाहिए वो नहीं इत्यादि। अगर बच्चे की परवरिश इस तरह करेंगे तो स्वभाविक है बच्चे का व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाएगा और वह किसी भी कार्य में इस डर से खुल कर पार्टिसिपेट नहीं कर पाएगा कि मैं कुछ भी करुंगा मेरे माता-पिता उसमें कमियां निकाल ही देंगे। So parents please let your children decide the way they want to do their own work. हां बच्चे की रूचि को ध्यान में रखते हुए उसके सही दिशा में निर्णय लेने में उसकी सहायता ज़रूर कर सकते हैं।
8) बच्चों को अपनी बात बेधड़क रखने के लिए प्रोत्साहित करें:
सिचुएशन जो भी हो बच्चों को उनके मन की बात बेधड़क रखने के लिए प्रेरित करें। पैरंट्स बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम स्पेंड और बातें करने की कोशिश करें, यहां से ही बच्चा अपनी बात बिना ड़रे कहने की शुरुआत करता है। याद रहे अगर बच्चा अपने पैरंट्स के सामने नहीं बोल पाता तो खुलकर कहीं नहीं बोल पाएगा। अतः बच्चों के अंदर कांफिडेंस डवैल्प करना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
9) बच्चों को गलतियों से सबक सीखना व धैर्य रखना सिखाएं:
जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता का यह मतलब कतई नहीं है कि उनसे गलतियां नहीं होतीं। चाहे कोई बड़ा हो या छोटा गलती किसी से भी हो सकती है। अगर बच्चों से कोई गलती हो जाए या किसी कार्य को लेकर बार- बार असफल हो रहा हो तो उसे वही कार्य हिम्मत और धैर्य का दामन थाम कर तब तक करने के लिए प्रोत्साहित करें जब तक कि उसे कामयाबी न मिल जाए। यकीन मानिए जैसे ही बच्चे को लगेगा कि उसनेे कर दिखाया उस की हिम्मत और आत्मविश्वास कई गुणा निखर कर सामने आएंगे।
10) बच्चों को पैसे की कीमत और जल्दबाजी से होने वाले नुक़सान से अवगत कराएं:
कई बार बच्चा जिद करता है कि उसे कोई चीज इसलिए चाहिए क्योंकि उसके दोस्त के पास है। ऐसे में पैरंट्स उसे उसकी जिदऔर रिक्वायरमेंट में फर्क सिखाएं उसे अपने पास प्यार से बिठाकर समझाएं कि अगर उन्होंने उसकी जिद पूरी की तो उनके पास अगले महीने उसकी स्कूल फीस देने के पैसे नहीं होंगे जिससे उसकी पढ़ाई पर असर पड़ सकता है और स्कूल वालों की बातें सुनने को मिलेंगी वो अलग। इससे बच्चे को आपकी फाईनांशियल पोजीशन का पता भी चल जाएगा दूसरी बार वैसी जिद भी नहीं करेगा। हां अगर बच्चे की जिद जायज़ है तो उसे जरूर पूरा कीजिए क्योंकि बच्चे की हर genuine demand पूरी करना आपका फर्ज है और डिमांड पूरी करवाना बच्चे का हक।
*अभी हाल ही में 12 मई 2020 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है। इसमें देश की जीडीपी का लगभग 10% पैकेज जो कि 20 लाख करोड़ रुपए है की घोषणा की है। निश्चित रूप से अब हमारा देश आत्मनिर्भर भारत अभियान (आत्म निर्भर योजना) के अन्तर्गत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जरूरत की हर चीज़ अपने देश में बनाकर दुनिया में आधुनिक जिम्मेदार आत्मनिर्भर भारत की पहचान बनेगा।
Very informative.
जवाब देंहटाएंExcellent insight for Parents and Kids.
जवाब देंहटाएंExcellent insight for Parents and Kids.
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जवाब देंहटाएंपैरंट्स बच्चों को हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी का उदाहरण ज़रूर दें
इसके बाद आपका लेख पढ़ना असम्भव हो गया🤮