बच्चे पैरेंट्स की आन - बान और शान होते हैं। ये उस कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है। हर माता-पिता चाहते हैं कि वे अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दें जिससे उनका बच्चा आधुनिक समाज में अनुशासित, संस्कारी, मृदुभाषि एवं प्रतिष्ठित व्यक्तितव का मालिक बने। इस के लिए वे भरपूर कोशिश भी करते हैं लेकिन अक्सर उनकी कंप्लेंट रहती है कि उनके बच्चे का बिहेवियर ठीक नहीं है दूसरे बच्चों के साथ आए दिन लड़ाई - झगड़ा करने लगा है, पढ़ाई-लिखाई में भी उसका मन नहीं लग रहा .... आदि। इन सब बातों के लिए काफी हद तक अगर कोई ज़िम्मेदार है तो वो हैं खुद पैरेंट्स क्यूंकि सब कुछ उनके सामने हो रहा होता है, किस परिस्थिति में क्या निर्णय लेना है वे समझ नहींं पाते और हालात बद से बद्तर होते चले जाते हैं।
कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार कैसे करें सही परवरिश अगर:
1) बच्चा सुबह उठने में आनाकानी करे/स्कूल जाने से इंकार करे :
2) बच्चा पढ़ाई से कतराने लगे/चिड़चिड़ा हो जाए
3) बच्चा खाना ठीक से नहीं खाता/दूसरे बच्चों के साथ मारपीट करता है :
4) बच्चा पलट कर जवाब दे/गाली गलौच करें :
5) बच्चा झूठ बोलता है/दूसरों की चीजें उठा लाता है :
6) बच्चा जिद करता है/पर्सनल और घर के कामों से कतराता है:
7) मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी के सामने बैठा रहता है:
ऐसी परिस्थिति में पैरेंट्स को क्या करना चाहिए?
1) बच्चा सुबह उठने में आनाकानी करे/स्कूल जाने से इंकार करे:
अक्सर पैरेंट्स इस स्थिति में बच्चे के ऊपर चीखना-चिल्लाना और अभद्र भाषा का प्रयोग करना शुरू कर देते हैं मसलन इस बेवकूफ को सोया रहने दो, बड़ा होकर रिक्शा चलाएगा या कुछ नहीं कर पाएगा। ध्यान रहे बच्चे वही सब सीखते हैं जो उनके आसपास हो रहा होता है। माता-पिता ही उनके प्रथम गुरु माने गए हैं इसलिए बच्चों के सामने उचित एवं मर्यादित भाषा का ही प्रयोग करें क्योंकि बच्चे वही सब सीख रहे हैं जो आप उन्हें सिखा रहे हो। अगर बच्चा सुबह उठने में आनाकानी कर रहा है या स्कूल जाने से इंकार कर रहा है तो माता-पिता कई बार गुस्से में आकर बच्चे को थप्पड़ तक मार देते हैं ऐसी हिंसात्मक प्रवृत्ति सरासर निंदनीय है।
पैरेंट्स क्या करें:
* सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि क्या बच्चा रात को टाइम पर सो गया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि पैरेंट्स, भाई-बहन या दादा-दादी के साथ बैठकर देर रात तक टीवी देख रहा हो या अगर अकेला सोता है तो कहीं अंधेरे में डरता तो नहीं जिस वज़ह से नींद पूरी न हुई हो।
* अगर पैरेंट्स दोनों वर्किंग हों तो बच्चों को देखभाल की और भी ज्यादा जरूरत होती है। जब भी काम से घर लौटें, थकान जितनी भी हो सबसे पहले बच्चे को हग करके गले लगाएं कांफिडेंस में लेकर पूरे दिन का हाल पूछें मसलन स्कूल में क्या किया, दोस्तों के साथ क्या बातें हुईं, टीचर ने आज करता पढ़ाया, किसको डांट पड़ी, किसको शाबाशी मिली .... आदि।
* यदि बच्चा स्कूल जाने से इंकार करे तो चैक करें उसका होमवर्क कंप्लीट है या नहीं।
* पैरेंट्स को चाहिए कि रात में बच्चे को ज्यादा देर तक जागने न दें। अगर बच्चा छोटा है तो सोने से पहले उसे मोटिवेशनल स्टोरी जरुर सुनाएं। इससे नींद भी अच्छी आएगी और बच्चा सुबह उठने में आनाकानी भी नहीं करेगा।
2) बच्चा पढ़ाई से कतराने लगे/चिड़चिड़ा हो जाए:
ज्यादातर पैरेंट्स बच्चे को कह देते हैं जाओ जा कर पढ़ाई करो अपना होमवर्क कंप्लीट करो। बच्चा कुछ कहे बगैर चला तो जाता है लेकिन क्या मालूम उसने होमवर्क किया या नहीं। हो सकता है उसे कुछ समझ आया हो और कुछ नहीं। नतीजा बच्चा आधा अधूरा काम करके स्कूल चला जाता है। वहां टीचर सबके सामने डांटती है जिससे बच्चे की ईगो हर्ट होती है। धीरे-धीरे वह पढ़ाई से कतराने लगता है और उसके बिहेवियर से चिड़चिड़ापन साफ झलकने लगता है। कई बार माता-पिता, रिश्तेदार या टीचर्स बच्चे का कंपैरिजन उसके सिबलिंग से करने लग जाते हैं। मसलन अपने भाई या बहन को देखो हर काम कितनी परफैक्शन से करता है और एक तुम बेवकूफ, निकम्मे कुछ नहीं कर सकते। ऐसी बातें बच्चों के कोमल मन को अंदर तक तोड़ कर रख देती हैं और बच्चा दिन-ब-दिन डल होता चला जाता है।
पैरेंट्स क्या करें:
* अगर बच्चा पढ़ाई से कतराने लगे चिड़चिड़ा हो जाए तो उसका आईक्यू लेवल चैक कराएं। उसको अपने पास बिठाकर प्यार से पढ़ाई के लिए प्रेरित करें। उसे बताएं जब आप छोटे थे तो आपको भी पढ़ना अच्छा नहीं लगता था। जिसकी वजह से आपको क्लास में सबके सामने डांट खानी पड़ती थी। बच्चे मजाक उड़ाते थे, कक्षा में सबसे पीछे बैठना पड़ता था । फिर कैसे आपने मन ही मन ठान लिया कि मैं भी सबके जैसे मन लगा कर पढूंगा और सबसे आगे निकल कर दिखाऊंगा और ऐसा ही हुआ। फिर कैसे सब आपको प्यार करने लग गए.... आदि।
* बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें फोर्स नहीं। उसके साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम स्पेंड करें, गेम्ज खेलें, हंसी-मजाक और इंस्पायर करने वाली स्टोरीज सुनाएं।
* उसके साथ बैठकर किस समय क्या करना है टाइम-टेबल सैट करें। सबसे पहले उसकी मनपसंद/इंट्रेस्ट की बात करें जैसे कौन सा खेल पसंद है, क्या-क्या खाना अच्छा लगता है, कैसी कहानियां सुनना पसंद है इत्यादि। उसके साथ मिलकर और उसके सामने ही उसका टाइम-टेबल सैट करें। फिर धीरे -धीरे पढ़ाई के मुद्दे पर आएं। इससे उसे लगेगा कि पैरेंट्स पढ़ाई उसके ऊपर थोप नहीं रहे हैं और वह आहिस्ता-आहिस्ता पढ़ाई में रूचि लेने लगेगा।
* बहुत जरूरी है पैरेंट्स-टीचर मीटिंग अटेंड करना। माता-पिता कई बार यह सोच कर स्कूल नहीं जाते कि उन्हें तो अपने बच्चे की परफॉर्मेंस पता है यही सोचना सबसे बड़ी भूल है और कई बार बच्चे को घर पर छोड़ कर पीटीएम अटैंड करने चले जाते हैं हमेशा बच्चे को साथ लेकर ही स्कूल जाएं और उसके सामने टीचर से हर चीज डिस्कस करें। कई बार टीचर्स बच्चे को देखते ही कहना शुरू कर देते हैं कि यह बैक बैंचर है, क्लास में चुपचाप बैठा रहता है, होमवर्क भी ठीक से नहीं हुआ होता ये कुछ कर ही नहीं सकता। ऐसा सब सुनकर पैरेंट्स गुस्से में आकर बच्चे को सबके सामने न डांटें और अकेले में इस बारे में टीचर से जरूर बात करें। पता करें कहीं स्कूल में कुछ बच्चे उसे बुली तो नहीं करते।
* कुछ बच्चे इमोशनली बहुत सैंसेटिव होते हैं उन्हें लगता है वे दुनिया में सबसे कमजोर और बेकार इंसान हैं कभी कुछ नहीं कर सकते इसलिए उन्हें सब डांटते हैं। कई बार स्थिति इतनी भयानक हो जाती है बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है। ऐसी स्थिति न आए इसके लिए पैरेंट्स टीचर से अकेले में बात करें और रिक्वैसट करें कि कुछ दिन उनके बच्चे को स्पैशल ट्रीट करें, उसे अपने सामने वाले बैंच पर बिठाएं। उससे ऐसे प्रश्न पूछें जिसका उत्तर वह आसानी से दे सके उस के लिए क्लास में क्लैपिंग करवाएं। सबके सामने शाबाशी देते हुए मोटिवेट करें। ऐसा करने से बच्चे में सैल्फ काॅनफिडैंस डिवैल्प होगा। पढ़ाई में रूचि लेने लगेगा। इस परिस्थिति में पैरेंट्स और टीचर दोनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
3) बच्चा खाना ठीक से नहीं खाता/दूसरे बच्चों के साथ मारपीट करता है:
* मां को कई बार लगता है कि बच्चा खाना ठीक से नहीं खा रहा है और अक्सर शिकायत आती है कि आए दिन दूसरे बच्चों के साथ मारपीट करता है। ऐसी स्थिति में कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार कैसे करें सही परवरिश ? ये सोचकर कभी भी बच्चे को फास्ट-फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, मैगी ... न खिलाएं कि इसने घर का खाना नहीं खाया, कम से कम बाहर का तो खा लिया। उसे लगेगा अगर वह खाना नहीं खाएगा तो उसे आसानी से बाहर का खाना मिल जाएगा। नतीजा बच्चे में पौष्टिक आहार की कमी हो जाती है। ग्रोइंग शरीर को जितने मिनरल, विटामिन्स मिलने चाहिए नहीं मिलते, बच्चे का शारीरिक - मानसिक विकास रूक जाता है। मन पढ़ाई में नहीं लगता, दूसरे बच्चों के साथ मारपीट करने लगते हैं, कई बार तो हिंसक प्रवृति के हो जाते हैं और उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है।
पैरेंट्स क्या करें:
* जब भी मां किचन में खाना पकाने जाए बच्चे को अपने पास खड़ा कर लें और खाने की पौष्टिकता से अवगत कराएं। मान लो पालक-पनीर, फिश कुछ भी पका रहे हों इनकी न्युट्रिशियस वैल्यु के बारे में संक्षेप में बताएं जैसे पालक-पनीर खाने से हमें कैलरीस, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटाशियम विटामिन 'ए' इत्यादि मिलते हैं । इसी तरह फिश खाने से हाई क्वालिटी प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन 'डी', बी 'टू' इत्यादि । बच्चे को प्यार से समझाएं कि इस तरह का पौष्टिक खाना खाने से उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है बिल्कुल उनके फेवरेट स्टार की तरह।
याद रहे एक बच्चे का मानसिक एवं शारीरिक विकास जितना उसकी मां कर सकती है दुनिया का कोई लेख या कोई किताब नहीं कर सकती ।
* बच्चे के साथ बैठकर खाने का मैन्यु तैयार करें जिसमें एक दिन बच्चे की पसंद जैसे नूडल, बर्गर, पिज्जा आदि शामिल करें इससे बच्चे को लगेगा उसकी पसंद का खयाल बखूबी रखा गया है लेकिन इस के साथ ही पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखें।
* बच्चों को विभिन्न शेपस व कलरफुल खाना अच्छा लगता है। पैरेंट्स अलग-अलग तरह के फल एवं सब्जियों का प्रयोग कर सकते हैं। कभी -कभी साॉस, जैम व चटनी का प्रयोग किया जा सकता है।
* जब भी बच्चा जंक फ़ूड की डिमांड करे बजाए इसके कि उसे डांट कर चुप करा दें इससे होने वाले नुक़सान से अवगत कराएं। जब कभी शादी ब्याह में जाएं तो बच्चों को खाने की छूट दे दें।
* अगर कोई आपके पास शिकायत लेकर आए कि आपके बच्चे ने उनके बच्चे के साथ मारपीट की है तो कभी भी उनके सामने अपने बच्चे को डांटे नहीं लेकिन उन्हें आश्वासन जरुर दें कि दुबारा ऐसा नहीं होगा।
* अकेले में अपने बच्चे को समझाएं कि यदि तुम मारपीट करोगे तो कोई तुम्हें पसंद नहीं करेगा और न ही कोई तुम्हरा दोस्त बनेगा। मैं भी तुमसे बात नहीं करूंगी। पैरेंट्स कभी भी किसी दूसरे के सामने ये न कहें कि हमारा बच्चा ऐसा कर ही नहीं सकता इससे उसे शय मिलेगी और अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा।
4) बच्चा पलट कर जवाब दे/गाली-गलौच करे:
कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार/बिहेवियर और करें सही परवरिश अगर वह पलट कर जवाब दे या गाली-गलौच करे । अक्सर देखा गया है जब भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है तो पैरेंट्स स्वयं की मर्यादा भूलकर एकदम आग बबूला हो जाते हैं। कभी अपने आप को कोसने लगते हैं और कभी बच्चे को उल्टा-सीधा बोलना शुरू कर देते हैं जैसे फिर से बोल कर दिखा मैं तुम्हारा मुंह तोड दूंगा। मां तो थप्पड़ तक मार देती है। माता-पिता सबसे पहले अपने घर के माहौल की ओर ध्यान दें कहीं ऐसा तो नहीं कि परिवार के सदस्यों में अक्सर छोटी-छोटी बातों को लेकर नोंक-झोंक होती रहती हो और बच्चों को लगता हो कि बात करने का तरीका ही यही है क्योंकि बच्चे तो वही सीखते हैं, वही करते हैं जो देखते हैं। बच्चों की परवरिश कैसे करनी है उनका व्यवहार कैसा है और कैसा होना चाहिए यह सब माता-पिता और घर के माहौल पर निर्भर करता है।
पैरेंट्स क्या करें:
* यदि बच्चा पलट कर जवाब देने लगे, गाली - गलौच करने लगे तो उस समय उसे अकेला छोड़ दें लेकिन अपने आप को नाॉरमल भी न दिखाएं वरन् वह सोचेगा आप पर कोई फर्क नहीं पड़ता। थोड़ी देर बाद जब बच्चा शान्त हो जाए तो उसे बताएं कि उसका इस तरह से बात करना आपको कितना बुरा लगा। अगर वह ऐसा दुबारा करेगा तो उसके टीचर्स, दादा-दादी, चाचा-चाची, दोस्त और सब लोग उसे गंदा बच्चा समझेंगे और बात भी नहीं करेंगे। दोस्त उसके साथ खेलना छोड़ देंगे।
* बच्चे को एहसास दिलाएं कि वह एक सभ्य और सुसंस्कृत बच्चा है। सब उसे बेहद प्यार करते हैं। इस बात को उसके सामने बार-बार न दोहराएं।
* पैरेंट्स ध्यान रखें कभी भी बच्चे के सामने किसी दूसरे के साथ या आपस में अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। बच्चा
जो देखता है वही करता है, हर बात के लिए उसे दोष देना उचित नहीं।
5) बच्चा झूठ बोलता है/किसी की चीजें उठा लाता है:
ऐसे समय में जब बच्चा झूठ बोलता है, किसी की चीजें उठा लाता है तो पैरेंट्स पूरे घर को सिर पर उठा लेते हैं अपना टाइम भूल जाते हैं। कहने लगते हैं पता नहीं हमने पिछले जन्म में कौन से पाप किए थे जो हमारे घर में ऐसा झूठ बोलने वाला चोर बच्चा पैदा हो गया। छोटे बच्चे के सामने पैरेंट्स द्वारा किया गया इस तरह का रिएक्शन अशोभनीय लगता है।
पैरेंट्स क्या करें:
* आपको पता है कि बच्चा झूठ बोल रहा है। अपने चेहरे से ऐसे रिएक्शन दें कि आप सब जानते हैं लेकिन ओवर रिएक्ट बिल्कुल न करें। कुछ देर के लिए बच्चे को अकेला छोड़ दें और बात भी न करें। बाद में प्यार से अपने पास बिठाकर एक कहानी के रूप में उसे सही और ग़लत में फर्क समझाएं। बच्चे कहानी के किरदार को अपनी जगह महसूस करते हैं।
* बच्चा यदि आपको स्कूल से आकर, बाहर से आकर या कभी भी कुछ बताने की कोशिश करे तो सारा काम छोड़कर उसकी बात सुनें बजाए यह कहने के कि देख नहीं रहा मैं कितना जरूरी काम कर रहा हूं या कर रही हूं, ऐसा करने से उसकी कोमल भावनाएं आहत होंगी और दुबारा कोई भी बात बताने में संकोच करेगा।
* बच्चा झूठ बोलता है किसी की चीजें उठा लाता है और पूछने पर बताता है ये तो उसे पड़ी मिली थी, एक तो चोरी की है ऊपर से झूठ बोल रहा है। इस समय घर में उसके साथ मारपीट या उसे जोर जोर से ड़ांटना न शुरू कर दें अपने बिहेवियर पर भी संयम रखना जरूरी है। उससे सबके सामने साॉरी न बुलवाएं लेकिन अकेले में सख्ती से डांटते हुए वार्निंग दें कि दुबारा ऐसा हुआ तो सबके सामने उसे पनिशमेंट दी जाएगी। उसके दोस्तों के साथ खेलना बंद कर दिया जाएगा और उसका फेवरेट टीवी शो नहीं चलेगा, मनपसंद खाना भी नहीं मिलेगा.... आदि। दूसरों की चीजें वापस करने को कहें।
बच्चे का स्कूल बैग चैक करते रहें अगर कोई भी ऐसी चीज मिले जो उसकी नहीं है तो प्यार से समझाएं और कहें यदि आप किसी का कोई भी सामान उठाते हो तो हर समय यही टैंशन रहेगी कि कोई देख न ले अगर किसी ने देख लिया तो सब आपको चोर और गंदा बच्चा समझेंगे।
* बच्चे ने अगर चोरी की है तो उसे इस से होने वाले नुक़सान के बारे में एक संक्षिप्त कहानी के रूप में अवगत कराएं उदाहरण के लिए जब मैं छोटा था तो मेरा एक दोस्त क्लास की बजाय कैंटीन में जा कर बैठ जाता था। टीचर ने क्या कराया, क्या होमवर्क दिया यह सब जानने के लिए दूसरे बच्चों की काॉपी चुराने लगा, बच्चे उसे चोर बुलाने लगे। धीरे-धीरे पढ़ई
में भी पीछे रहने लग गया उसके दोस्तों ने उसे नालायक और चोर समझकर बातचीत बंद कर दी। तब उसे एहसास हुआ कि झूठ बोलना और चोरी करना कितनी बुरी बात है।
इस तरह बात करने से बच्चा अपने आप को इस से रीलेट करने लगेगा और दुबारा ग़लती न करने के बारे में सोचने लगेगा।
* कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार और करें सही परवरिश पैरेंट्स घर में ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चे अपने मन की हर बात बेझिझक बिना डरे आप से डिस्कस कर सकें। झूठ बोलने और चोरी करने की तभी जरूरत पड़ती है जब बच्चे को लगता है कि पैरेंट्स उसकी बात नहीं सुन रहे या यदि वह सच बोलेगा तो उसे डांटा फटकारा जाएगा।
* बच्चे को भरोसा दिलाएं कि आप हर सिचुएशन में उसके साथ हैं वह बिना डरे उनसे हर बात शेयर कर सकता है। बच्चे को जरुरत की हर चीज प्रोवाइड कराने की कोशिश करें जिसका वह हकदार है इससे उसे चोरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
6) बच्चा जिद करता है/पर्सनल और घर के कामों से कतराता है:
कई बार फालतू की चीजों के लिए बच्चा जिद करता है, उसे भी वह सब चाहिए जो उसके दोस्तों के पास है, बिना इस बात की परवाह किए कि क्या उसके पैरंट्स उतने सक्षम हैं। पैरेंट्स को उनकी फाइनेंशियल पोजीशन के बारे आपस में बच्चे के सामने डिस्कस करते रहना चाहिए। इससे उसके दिमाग में हर चीज साफ़ रहेगी और फिजूल की फरमाइश/जिद करने से पहले एक बार जरूर सोचेगा।
बच्चा पर्सनल और घर के कामों से कतराता है ऐसे में पैरंट्स उससे घर के और उसके पर्सनल छोटे-मोटे काम जैसे स्कूल से आकर अपना लंचबॉक्स, वाटर बाॉटल बच्चा स्वयं सिंक में रखे। अपने आप गिलास लेकर पानी पीए, घर के कामों में जैसे छोटे-छोटे सामान को इधर -उधर रखने में मां की मदद करवाएं... इत्यादि। पैरेंट्स भी अपने पर्सनल काम जैसे खाना खा कर अपनी प्लेट अपने आप उठाना, आफिस जाने से पहले स्वयं अपने शू पाॉलिश करना आदि। आपको देख कर बच्चा भी पर्सनल और घर के कामों में रूचि लेने लगेगा।
पैरेंट्स क्या करें:
* बच्चे की जिद अगर आप को लगता है जैन्विन है तो कभी-कभी पूरी करने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन अगर फालतू की जिद है तो उसके रोने धोने के आगे झुकें नहीं। जब उसे मालूम होगा कि माता-पिता की "हां' का मतलब 'हां' और 'न' का मतलब 'न' है तो वह बेकार में जिद नहीं करेगा।
* बच्चे से हमेशा अपने साथ घर के छोटे-मोटे काम करवाते हैं। अगर उससे कोई गलती हो जाए, उसके हाथ से कोई चीज गिरकर टूट जाए तो उसे डांटें नहीं, उसे कहें जब आप छोटे थे तो आप से भी कभी ऐसा होता रहता था।
* पैरेंट्स समय-समय पर बच्चे की तारीफ करते रहें इससे उसमें सैल्फ काॅनफिडैंस डिवैल्प होगा और काम करने से नहीं कतराएगा।
7) मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी के सामने बैठा रहता है:
कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार, कैसे करें सही परवरिश अगर वह हर समय मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी के सामने बैठा रहता है। आजकल के डिजिटल वर्ल्ड में हम बच्चों को इन चीजों से दूर बिल्कुल नहीं रख सकते। लेकिन कहते हैं "अति सर्वत्र वर्जयेत" इसका मतलब है किसी भी चीज का अत्यधिक प्रयोग वर्जित है।
वक्त के साथ चलने के लिए इनका इस्तेमाल जितना फायदेमंद है अत्यधिक प्रयोग उतना ही घातक। इनसे होने वाले फायदे और नुक़सान के बारे में समय-समय पर बच्चों को अवगत करवाते रहें मसलन ज्यादा इस्तेमाल से आई साईट खराब हो सकती है, ज्यादा देर इन चीजों के इस्तेमाल से टाइम खराब/वेस्ट होता है जिसकी वजह से पढ़ाई में पीछे रह सकते हो... आदि।
पैरेंट्स क्या करें:
* अगर बच्चा काफी देर से टीवी देख रहा है या काफी देर से मोबाइल पर गेम खेल रहा है तो गुस्से में आकर कभी भी उसके हाथ से रिमोट या मोबाइल न छीनें।
* माता-पिता भी बच्चे के सामने ज्यादा टीवी न देखें। बच्चे के पसंदीदा प्रोग्राम में कमियां निकालने की बजाय उससे पूछें कि उसे इसमें क्या अच्छा लगता है और क्युं।
* बच्चे के साथ बैठकर टाइमटेबल बनाएं कि वह कितनी देर टीवी देखेगा और कितनी देर मोबाइल पर गेम खेलेगा। इससे बच्चे में पंक्चुअलिटी आएगी। अगर एक दिन ज़्यादा टीवी देखता है तो अगले दिन उतने टाइम की कटौती कर दें।
* बच्चे को कभी भी महंगा मोबाइल न दिलाएं।
मोबाइल बिल की लिमिट भी तय कर दें।
* अकेले में बच्चे का कंप्यूटर, मोबाइल चैक करते रहें कहीं बच्चा ग़लत साईट तो नहीं देख रहा।
बच्चे के दोस्तों के बारे में भी जानकारी रखें।
* यदि बच्चे की किसी बुरी आदत का पता चले तो अपने व्यवहार में सख्ती ले आऐं। दुबारा ऐसा न हो साफ़-साफ़ शब्दों में समझा दें। लेकिन बार-बार गलती का जिक्र न करें।
* अगर बच्चा हाइपर है तो उसे आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें।
कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार, कैसे करें सही परवरिश आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर आप संयुक्त परिवार ( ज्वाइंट फैमिली ) में रहते हों तो बच्चों को ज्यादा से ज्यादा उनके दादा-दादी ( ग्रेंड पैरेंट्स ) के संपर्क में रखें जिससे उन्हें नैतिक मूल्यों ( माॉरल वैल्युज ) की जानकारी का ज्ञान मिल सके।
ध्यान रहे दुनिया में कोई भी इंसान संपूर्ण/परफैक्ट नहीं होता।
पेरेंट्स का मेन मकसद है बच्चे को एक ऐसी राह की ओर अग्रसर करना जिससे वह एक जिम्मेदार नागरिक बनकर खुशहाल परिवार और विकसित समाज/देश का निर्माण कर सके। यह सब तभी संभव है जब हम उसे बचपन से ही अनुशासित, दूसरों की भावनाओं की कद्र करने वाला, सही और ग़लत की पहचान करने में सक्षम, अकल्पनीय सोच का मालिक बनने में उसकी मदद करेंगे।
ं
Bahut hi badhiya margdarshan.Very well written.👏👏Go ahead
जवाब देंहटाएंExcellent explanation, very useful for parents!
जवाब देंहटाएंVery well written and Explained
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