प्रस्तुत लेख में समाज में रहते हुए जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को कोट्स (Quotes) की सहायता से अपनी जीवनशैली व उज्जवल भविष्य में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु कुछ मूलभूत सुझाव व्यक्त करने की कोशिश की गई है।
आधुनिक समाज में बच्चों एवं संपूर्ण मानवजाति का भविष्य सही दिशा में दी जाने वाली शिक्षा पर निर्भर करता है(कैसे सुधारें बच्चे का व्यवहार, कैसे करें सही परवरिश?)। बच्चों के प्राथमिक शिक्षक व मार्गदर्शक उनके माता-पिता होते हैं। बचपन में ली गई शिक्षा का प्रभाव पूरी उम्र रहता है। कौन सी बात पर हम कैसे प्रतिक्रिया करते हैं, अपनी बोल-चाल में संयम और सभ्यता का इस्तेमाल किस तरह करते हैं यह सब हमारी शिक्षा एवं ज्ञान पर निर्भर करता है। बच्चों को कोई भी कार्य सिर्फ यह सोच कर नहीं छोड़ देना चाहिए कि उनसे नहीं होगा बल्कि तब तक कोशिश करते रहना चाहिए जब तक कि उसे पूरा न कर लें। सभी पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे झूठ न बोलें, सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलकर आत्मनिर्भर बनें लेकिन सिर्फ माता-पिता के सोच लेने मात्र से ही बच्चों में यह सब बदलाव नहीं आएगा इस के लिए उन्हें भी अपने अंदर वही सब बदलाव लाने पड़ेंगे जो वे अपने बच्चों में देखना चाहते हैं। बच्चे माता-पिताा को देख-देखकर ही बड़े होते हैं और वह सब करने की कोशिश करते हैं जो अपने आसपास देखते हैं अतः पेरेंट्स बच्चों की सही दिशा में परवरिश करने के लिए घर में अपने आसपास ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चों के कोमल मन का विकास सकारात्मक एवं खुशनुमा तरीके से हो जिससे वे समय के साथ अपने फैसले स्वयं लेने में सक्षम हों और बड़ी ही निर्भीकता से अपने विचारों को प्रकट कर समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकें।
बिना ज्ञान और शिक्षा के मनुष्य जीवन निरर्थक है या कह लीजिए पशु समान है। इस धरती पर बिना ज्ञान के निर्वाह करना अत्यंत कठिन है। ज्ञान की शुरुआत विधार्थी काल से ही हो जाती है। अतः हर विधार्थी को चाहिए हर वक्त कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करें ताकि आगे चलकर इस दुनिया में सिर उठाकर जीएं और अपने ज्ञान रूपी भंडार से दुनिया को बदलने की ताकत रखें।
Education is the most powerful weapon which you can use to change your life and the whole world as well.
दुनिया कोशिश पर टिकी हुई है, अगर इन्सान कुछ भी करने की ठान ले तो उसे दुनिया की कोई ताकत उसका मकसद पूरा करने से नहीं रोक सकती क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। हमारे समाज में बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जब कोई पर्टिकुलर कार्य ऐसे वक्त में कुछ दृढ़ निश्चय वाले व्यक्तियों द्वारा पूरा किया गया जब बाकी सबने उस की उम्मीद छोड़ दी थी तब उन्होंने अपने ज्ञान और शिक्षा के माध्यम से अपने उज्जवल भविष्य की नींव रखी। तभी तो कहा गया है -
"कोशिश कर निरंतर कर, आज नहीं तो कल निकलेगा, हर मुश्किल का हल निकलेगा"।
मनुष्य की रचना इस पृथ्वी पर विचरण करने वाले अन्य जीवों की अपेक्षा श्रेष्ठतम मानी गई है। अतः श्रेष्ठता और इज्जत से जीने की कला हमें स्वयं सीखनी है।
Each Breath is a Special Kind of Gift Given by the Super Power to us.
यह दुनिया फरेब, अच्छे--बुरे, सच्चे-झूठे, जिम्मेदाराना, गैर-जिम्मेदाराना न जाने कितने ही अगणित पहलुओं से घिरी हुई है। जो चीज़ हम दूसरों में देखना चाहते है उसका अनुसरण हमें
पहले स्वयं करना चाहिए जैसे अगर हम दूसरों में सच्चाई और अच्छाई तलाश रहे हैं तो इसे सबसे पहले हमें अपने भीतर लाना होगा महसूस करना होगा बाहरी दुनिया में भटकने से सच्चाई और अच्छाई की तलाश कभी पूरी नहीं होगी।
कोई भी इंसान परफैक्ट नहीं होता, गलती किसी से भी हो सकती है, ग़लत ये नहीं कि किसी ने गलती की बल्कि गलत है गलतियां करने के बाद उनको realize न करके, स्वीकार न करके एक और गलती कर बैठना। जितना जल्दी हो सके समय रहते अपनी गलत आदतों या गलतियों को स्वीकार कर के सुधार लें और अपने उज्जवल भविष्य की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करें और यही सीख दूसरों को भी दें।
हम एक Civilized Society में रहते हैं। किसी भी बात पर कोई भी इंसान टिप्पणी कर सकता है अपनी बात बेधड़क रख सकता है यह उसका अधिकार है लेकिन सिर्फ किसी बात पर टिप्पणी कर देना या प्रतिक्रिया कर देना ही पर्याप्त नहीं है इन सब के साथ हमें हमारे शब्दों पर कंट्रोल करना आना चाहिए। कभी भी सभ्यता और संयम का दामन नहीं छूटना चाहिए।
माता-पिता बच्चों के छोटे-छोटे ऐसे काम जो बच्चा कर सकता है इसलिए, स्वयं करने लग जाते हैं कि वह देर लगाएगा या जल्दी ठीक से नहीं कर पाएगा सबसे बड़ी गलती कर रहे होते हैं। बच्चों को अच्छी बातें, अच्छी आदतें सिखाना, उनकी हैल्प करना, उनको हर तरह की facility provide करना जो उन के लिए आवश्यक है, पैरेंट्स का कर्त्तव्य है लेकिन सबसे जरूरी है बच्चों के छोटे-छोटे काम स्वयं करने के लिए उन्हें प्रेरित करके आत्मनिर्भरता और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करना न कि उनके सारे काम स्वयं करके उन्हें निठल्ला बनाना।
So parents please don't handicap your children by making their lives so easy
Motivation is the key to success. पैरेंट्स हमेशा बच्चों को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए व उसे और भी अधिक अच्छा करने के लिए प्रेरित करते रहें। घर में हमेशा सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश करें क्योंकि बच्चे के अंदर Positivity या Negativity की शुरुआत घर से ही होती है। पैरेंट्स का स्वयं भी मिलना जुलना ऐसे लोगों से ज्यादा होना चाहिए जो सकारात्मक सोच रखते हों। ध्यान रहे बच्चा जिस तरह के बच्चों के साथ खेलता है इसका भी उसकी कोमल भावनाओं पर गहरा असर होता है। जिंदगी में ज्ञान और शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए हमें सकारात्मक एवं प्रेरणादायक व्यक्तियों का साथ और नकारात्मक सोच के लोगों से दूरी बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
ज्यादातर पैरेंट्स की कंप्लेंट रहती है कि यह बच्चा या वह व्यक्ति किसी की इज्जत नहीं करते या जब भी बोलते हैं बदतमीजी से बोलते हैं। अक्सर हमारे आसपास भी कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें बात करने का सलीका भी नहीं आता। ऐसे लोगों का स्वभाव बहुत ही अनपर्डिक्टेबल होता है बात-बात पर चीखना-चिल्लाना, दूसरों की बात सुने बिना ही अपमान जनक भाषा का प्रयोग करना इनकी आदत बन जाती है। ऐसे लोग अगर अपनी आदत न सुधारें तो आजकल के सभ्य समाज में दूसरों का अपमान करते-करते अपना सम्मान खो देते हैं। अतः माता-पिता से गुजारिश है कि बच्चों को बचपन से ही बड़े हों या छोटे सबका सम्मान करना सिखाएं ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो और बड़े हो कर समाज में इज्ज़त की जिंदगी जीएं।
हमेशा ध्यान रहे " इज्ज़त करोगे तो इज्ज़त मिलेगी।"
"As You Sow, So Shall You Reap".
हमारी बोल-चाल, शिक्षा, ज्ञान ही हमारा व्यक्तित्व निर्धारित करते है अतः किसी से भी बात करने से पहले शब्दों का चयन बड़ी ही होशियारी एवं समझदारी से करना चाहिए। आपके शब्द ही आपके व्यक्तित्व को निखारने एवं आपकी personality को उजागर करते हैं। आपके द्वारा कही गई एक सकारात्मक बात किसी की जिंदगी बदल सकती है और आपके द्वारा ही कही गई एक नकारात्मक बात किसी की जिंदगी खत्म कर सकती है इसलिए कभी भी अपने खराब मूड (मनोदशा) के समय बुरे अथवा नकारात्मक शब्दों का प्रयोग कदापि न करें क्योंकि ख़राब मूड ( मनोदशा) को बदलने के बहुत मौके मिलेंगे लेकिन आपके मुंह से निकले हुए नकारात्मक एवं खराब शब्दों को बदलने के नहीं।
अक्सर हमारे आसपास बहुत बार देखने या सुनने को मिलता है कि उस बच्चे का एडमिशन मैडिकल कॉलेज में हो गया या आईआईटी में हो गया उसकी तो किस्मत ही बहुत अच्छी है ऐसा कहना जितना आसान है उतना ही मुश्किल है वहां तक पहुंचने के लिए की गई मेहनत का अंदाजा लगाना। किसी भी कामयाब इन्सान की जिंदगी सिर्फ किस्मत के भरोसे नहीं होती किसी भी मुकाम तक पहुंचाने के लिए उसमें छिपी होती है उसकी काम के प्रति लग्न, ज्ञान, दृढ़ निश्चय व कड़ी मेहनत। मंजिलें यूं ही हासिल नहीं हुआ करतीं।
Bahut hi achhe se ek ek pehlu ko lekar likha hai..shabdo ka chayan...quotation bahut hee ache nibandh ko darshata hai...bahut achha laga aapka yeh bahut hi upayogi article parhkar
जवाब देंहटाएंShukrriya