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बच्चे झूठ बोलते हैं | झूठ बोलने से रोकने के बीस उपाय | Bachchon ko jhooth bolne se rokne ke 20 upaye

Bachchon ko jhooth bolne se rokne ke 20 upaye


बच्चों का थोड़ा बहुत झूठ बोलना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन अगर बच्चा छोटी-छोटी बातों को लेकर अक्सर झूठ बोलता है तो माता-पिता/ पेरेंट्स को स्तर्क हो जाना चाहिए क्योंकि हर छोटी-बड़ी बात पर बोला गया झूठ बच्चों को बड़ी मुसीबत में डाल सकता है।

बच्चों का बचपन गीली मिट्टी की तरह होता है जिन्हें पेरेंट्स या टीचर्स जो आकार देना चाहें जैसा बनाना चाहें बन जाते हैं। बच्चे घर में किस माहौल/वातावरण में रहते हैं, उनके आसपास क्या हो रहा है, वे क्या देख रहे हैं इन सब का उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अच्छी और बुरी आदतों की शुरुआत भी यहीं से होती है। झूठ बोलने की बुरी आदत की भी शुरुआत यहां से ही होती है। वज़ोबिआना के इस आर्टिकल में मुख्यत: तीन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है

1) बच्चे झूठ कब और क्यों बोलते हैं?
2) माता-पिता कैसे जाने कि बच्चा झूठ बोल रहा है?
3) बच्चों को झूठ बोलने से रोकने के बीस उपाय?

When children Start lying and why? How parents know that their children are lying?  20 tips/upaye to make children stop lying.

1) बच्चे झूठ कब और क्यों बोलते हैं?

बच्चों को कभी भी कोई झूठ बोलना नहीं सिखाता फिर भी यह एक ऐसा सत्य है जिसे हम सब बखूबी समझते हैं। थोड़ा बहुत झूठ तो कभी न कभी जाने अंजाने में हम सब ने बोला होगा लेकिन बच्चों के साथ मुश्किल तब आ जाती है जब बच्चा बिना किसी बड़े रीज़न के कभी भी छोटी छोटी बातों को लेकर झूठ बोलना शुरू कर देता है समय रहते अगर उसे न रोका जाए तो बाद में माता-पिता के लिए सिचुएशन हैंडल करना मुश्किल हो जाता है। बच्चे झूठ कब और क्यों बोलते हैं इसके निम्न कारण हो सकते हैं:

  • ध्यान आकर्षित करना: अक्सर देखा गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता किसी कारण वश बहुत व्यस्त रहते हैं तो बच्चे उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं।
  • सजा मिलने के डर से: बच्चे बहुत बार सज़ा मिलने के डर से या डांट से बचने के लिए झूठ का सहारा ले लेते हैं वे नहीं जानते आगे चलकर उनके झूठ बोलने का क्या अंजाम होगा।
  • गलतियां छिपाने के लिए: बच्चों से अक्सर छोटी-छोटी गलतियां होती रहती हैं। उदाहरण के तौर पर मान लो बच्चे के हाथ से कांच का बर्तन गलती से गिरकर टूट जाता है तो बच्चा जल्दी से जाकर अपने कमरे में बैठ जाएगा और मां के पूछने पर साफ़ इंकार कर देगा कि उसने तो बर्तन देखा ही नहीं। अगर सोचा जाए तो बच्चे के हाथ से कांच का बर्तन गिरकर टूट जाना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन अगर गलती से कोई दूसरा बच्चा या बड़ा नंगे पांव कमरे के अंदर जाता है तो उसके पांव में कांच चुभने से इंजरी हो सकती है लेकिन बच्चा इस बारे में सोचेगा ही नहीं उसका ध्यान सिर्फ अपनी गलती छुपाने में लगा रहेगा। माता-पिता को चाहिए कि घर में ऐसा वातावरण बनाएं जिससे बच्चे बिना किसी डर के उनके सामने हर छोटी-बड़ी बात कह सकें।
  • परिणाम जाने बिना झूठ बोलना: अक्सर बच्चे बिना सोचे समझे किसी चीज का परिणाम जाने बिना झूठ बोल देते हैं। वे इस बात से अनजान होते हैं कि उनके द्वारा बोले गए झूठ से आने वाले समय में कितना नुक्सान हो सकता है। उदाहरण के लिए मान लो बच्चे के स्कूल में किसी कारण वश पर्टिकुलर सब्जैक्ट में नंबर बहुत कम आ रहे हैं हो सकता है उसे टीचर का पढ़ाने का तरीका समझ में नहीं आ रहा हो या उस सब्जैक्ट में उसका इंट्रस्ट ही न हो कारण कुछ भी हो सकता है। माता-पिता के पूछने पर उनकी डांट के डर से बच्चा झूठ कह देता है कि उसके मार्क्स हर सब्जैक्ट में अच्छे आए हैं। असल में अगर देखें तो बच्चे की इंटैलिजैंस कभी भी उसके मार्क्स पर निर्भर नहीं करती। हर बच्चा यूनीक होता है। लेकिन बचपन में ये सब बातें बच्चे नहीं सोच पाते और धीरे-धीरे अपने को दूसरों से पीछे रहता देख स्ट्रैस में आ सकते हैं। बहुत बार ऐसे बच्चों को हीन भावना का शिकार होता देखा गया है। पेरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चों की बातों पर विश्वास करना बहुत अच्छी बात है लेकिन साथ में असलियत की जानकारी रखना उससे भी अच्छी बात है।
  • ओवर कांफिडेंस (confidence) की वजह से झूठ बोलना: बच्चे सोचते हैं कि वे बहुत स्मार्ट हैं और उनका झूठ पकड़ा नहीं जाएगा। इसलिए ओवर कांफिडेंस की वजह से एक के बाद एक झूठ बोलते जाते हैं।
  • बेइज्जती होने के डर से: बच्चे सोचते हैं कि अगर उन्होंने सबके सामने सच मान लिया या सच कह दिया तो सब उन पर हंसेंगे उनका मजाक बनाएंगे। इसलिए अपनी बेइज्जती होने के डर से झूठ बोलते जाते हैं। ये मासूम बिल्कुल नहीं जानते कि उनका झूठ थोड़ी देर के लिए उन्हें बचा लेता है लेकिन कई बार झूठ के पैर इतने फ़ैल जाते हैं कि उनकी पूरी जिंदगी एक मज़ाक बन कर रह जाती है।
  • पेरेंट्स का सख्त रवैया: कई बार पेरेंट्स का रवैया बच्चों के प्रति इतना सख्त होता है कि कोई ग़लती हो जाने पर उनकी डांट फटकार के डर से बच्चे झूठ बोलने पर मजबूर हो जाते हैं।
  • सबकी नजरों में अच्छा बना रहने के लिए: कुछ माता-पिता की आदत होती है कि जब भी कोई मेहमान घर पर आते हैं तो उनके सामने अपने बच्चों की बढ़ा चढ़ाकर तारीफ करते हैं। बच्चे यह सब सुन रहे होते हैं। ऐसे में जब उनसे कोई ग़लती हो जाती है तो माता-पिता की और सब की नज़रों में अच्छा बना रहने के लिए, अपनी गलती छुपाने के लिए झूठ का सहारा ले लेते हैं। एक झूठ छुपाने के लिए दूसरा झूठ बोलते हैं और फिर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है।

2) माता-पिता कैसे जाने कि बच्चे झूठ बोल रहे हैं:

बच्चे बहुत मासूम होते हैं जब भी वे झूठ बोलते हैं तो उनके व्यवहार से और हाव-भाव से साफ पता चल जाता है कि वे झूठ बोल रहे हैं। माता-पिता के लिए यहां हम कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं जिनसे साफ़ पता चल जाएगा कि बच्चे झूठ बोल रहे हैं:

  • अक्सर देखा गया है कि बच्चे झूठ बोलती बार नज़रें नहीं मिलाते।
  • झूठ बोलती बार लगातार आंखें इधर-उधर घुमाते हुए अपनी बात पूरी करते हैं।
  • बच्चे जब भी झूठ बोल रहे होते हैं तो अपनी बात को एक कहानी की तरह लंबा खींचने की कोशिश करते हैं और उनसे यदि दुबारा वही बात पूछें तो आपको लगेगा कि कहानी थोड़ी बहुत बदल चुकी होती है।
  • झूठ पकड़े जाने के डर से अपनी बात बताते समय किसी चीज से खेलने का नाटक करते रहेंगे। 
  • माता-पिता के सवाल पूछे जाने पर उत्तर देने में काफी समय लगाएंगे और बीच-बीच में बात को बदलने की कोशिश करेंगे।
  • झूठ छुपाने के लिए अपने मन से कुछ भी कहानी जोड़ने की कोशिश करेंगे।
  • ऊंची आवाज़ में बोल कर झूठ को सच बताने की कोशिश करेंगे।
  • झूठ को सत्य साबित करने के लिए बिना रुके लगातार बोलने की कोशिश करेंगे।

3) झूठ बोलने से रोकने के बीस उपाय/टिप्स:

यदि बच्चों को झूठ बोलने की ग़लत आदत पड़ गई है और दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तो रोकना अत्यंत आवश्यक है। यहां हम बच्चों को झूठ बोलने से रोकने के 20 उपाय/टिप्स का उल्लेख कर रहे हैं जिन्हें अपनाकर पेरेंट्स बच्चों में झूठ बोलने की इस बुरी आदत को बढ़ने से रोकने में सफल हो सकते हैं:

1) पहले स्वयं ईमानदार बन कर बच्चों के लिए रोल-मॉडल बनें।

2) बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें।

3) बच्चों को यह एहसास दिलाएं कि वे जो भी बोल रहे हैं आप पहले से ही सब कुछ जानते हो,  इससे बच्चे झूठ बोलने की हिम्मत नहीं करेंगे।

4) बच्चों के मन से डर बाहर निकालें।

5) हमेशा बच्चों को सच बोलने के लिए प्रेरित करते रहें।

6) बच्चा झूठ क्यों बोल रहा है कारण पता करें।

7) झूठ बोलने पर बच्चे को कड़े शब्दों में समझाएं।

8) समय-समय पर बच्चों को प्यार से पास बिठाकर सच्चाई की ताकत से अवगत करवाते रहें।

9) बच्चों को सच्ची एवं प्रेरणादायक कहानियां सुनाते रहें।

10) जब बच्चे सच बोलें तो उन्हें डांटे नहीं बल्कि शाबाशी दें।

11) बच्चे जब सामने हों तो कभी भी फोन पर बात करते हुए गलती से भी झूठ न बोलें क्योंकि बच्चा वही सीखता है जो आप उसे सिखाते हो या जो वह देखता है।

12) घर का माहौल/वातावरण ऐसा रखें जिसमें बच्चा निडरता से अपनी हर बात आपसे सांझा कर सकें।

13) उसे इस तरह के किस्से/कहानियां सुनाते रहें जिससे वह चाह कर भी झूठ न बोलने पाए।

14) बच्चे को प्यार से अपने पास बिठा कर उससे संबंधित हर बात डिस्कस करें।

15) अगर पेरेंट्स को लगे कि बच्चा बिना किसी कारण के झूठ बोल रहा है तो उसे अपने से संबंधित कोई भी रोमांचक एवं प्रेरणादायक कहानी सुनाएं और बातों-बातों में उसे विश्वास दिलाएं कि एक बार जब आपने कोई छोटा सा झूठ बोला था तो आपको उसकी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी और आपने उसी समय जिंदगी में कभी भी झूठ न बोलने की कसम खा ली थी। बच्चा यह सब सुनकर कहानी में अपने आप को रीलेट करने लगेगा।

16) बातों ही बातों में पेरेंट्स बच्चों में अपना भरोसा दिखाएं। इससे उन्हें लगेगा कि उनके माता-पिता उन पर कितना विश्वास करते हैं तो वे धीरे-धीरे झूठ बोलना कम कर देंगे या बंद कर देंगे।

17) जब भी बच्चा सच बोले तो उसे यकीन दिलाएं कि उसके सच बोलने पर आपको कितनी प्रसन्नता होती है और आप उस पर कितना गर्व महसूस करते हो।

18) कभी भी सार्वजनिक जगहों पर बच्चों की गलतियों की चर्चा न करें और न ही उनका मज़ाक बनाएं।

19) माता-पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को सही और ग़लत में अंतर करना सिखाएं ताकि वे गलत रास्ता या ग़लत आदत छोड़कर सही आदतों का चयन आसानी से कर सकें।

20) माता-पिता बच्चों को समझाएं कि हमारे समाज में छोटे हों या बड़े झूठ बोलने वालों की कोई इज्जत नहीं करता। झूठ पकड़े जाने पर सबके सामने अपमानित होना पड़ सकता है वहीं दूसरी तरफ सच बोलने वालों को या सच का साथ देने वालों की हर जगह इज्ज़त होती है और हर कोई उनसे दोस्ती करना चाहता है।

बच्चे जब छोटी उम्र में ही झूठ बोलने लग जाते हैं कारण कोई भी हो सकता है उस समय उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं होता कि झूठ बोलने की यह आदत उनके लिए समय के साथ कितनी मुश्किलें पैदा कर सकती है। माता-पिता  का कर्तव्य है कि बच्चों की इस ग़लत आदत को बिल्कुल नज़रंदाज़ न करें। प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से या महान् हस्तियों का उदाहरण देकर सही और ग़लत में अंतर करना सिखाएं।  सच एवं सच्चाई की ताकत से अवगत करवाएं।
 
 लेखिका: पिंकी राय शर्मा

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